लोकसभा चुनाव 2024 के तहत सातवां और अंतिम चरण का मतदान 1 जून को समाप्त हो गया जिसमे 8 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश चंड़ीगढ़ सहित 57 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो गया , जिसके नतीजे 4 जून को सामने आएंगे।लेकिन इससे पहले अंतिम चरण की वोटिंग के बाद सभी का नजरें एग्जिट पोल पर ही रही , जो चुनावों के बाद संभावित सरकार की भविष्यवाणी करते हैं। क्योकि चुनाव और उसके नतीजे शेयर बाजार पर किस तरह का असर डालते हैं, वो हम पहले भी काफी देख चुके हैं। फिर चाहे वो साल 2019 का लोकसभा चुनाव हो, या फिर पिछले साल पांच विधानसभा चुनाव के नतीजे हों। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या एग्जिट पोल शेयर बाजार पर असर डालते हैं? ये सवाल इसलिए है क्योंकि शनिवार को लोकसभा चुनाव 2024 के 7वें फेज का मतदान खत्म होने के बाद टीवी चैनल्स की स्क्रीन्स पर तमाम एग्जिट पोल्स के आंकड़ें रेंगने शुरू हो गए । इन आंकड़ों से अनुमान लगाया जा सकता है कि 4 जून के नतीजे किस तरह के देखने को मिल सकते हैं।
चुनाव परिणाम के दिन तो शेयर बाजार रिएक्ट करेगा ही, लेकिन उससे पहले 3 जून यानी सोमवार को शेयर बाजार पर इन एग्जिट पोल का कुछ असर देखने को मिलेगा? अगर साल 2004 के लोकसभा चुनाव से लेकर साल 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो और एग्जिट पोल के आंकड़ें आने के बाद शेयर बाजार पर असर साफ दिखाई देता है। यदि हम सिलसिलेवार बीते चार लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल के बाद शेयर बाजार के आंकड़ों को देखें और समझने की कोशिश करें कि आखिर इन अनुमानित आंकड़ों का कितना असर देखने को मिला है।
साल 2004 के लोकसभा चुनाव का आखिरी फेज 10 मई को हुआ था। उसके बाद करीब 5 एग्जिट पोल सामने आए थे। इनमें से 3 पोल्स ने जो संकेत दिए गए थे, वो हंग पार्लियामेंट के थे। इसका मतलब था कि किसी भी गठबंधन को फुल मैज्योरिटी नहीं मिल रही। सिर्फ दो ही ऐसे सर्वे थे जो एनडीए को फुल मैज्योरिटी दिखा रहे थे। उसके बाद जब 11 मई को शेयर बाजार ओपन हुआ तो सेंसेक्स में बड़ी गिरावट देखने को मिली। 10 मई को जब शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 5,555.84 अंकों पर बंद हुआ था। 11 मई को ये आंकड़ा 5,325।90 अंकों पर आ गया। यानी सेंसेक्स में 229.94 अंकों की गिरावट देखी गई थी। इसका मतलब है कि निवेशकों को 4.14 फीसदी का नुकसान हुआ था।
साल 2009 के लोकसभा चुनाव का आखिरी फेज 13 मई को था और शाम को एग्जिट पोल आए थे। उसमें कुछ पोल यूपीए को 190 से 200 सीट मिलने का अनुमान लगा रहे थे। तो एनडीए को 180 से 195 सीटें मिलने का अनुमान लगा गया था। मतलब साफ था कि लगातार दूसरी बार एग्जिट पोल लोकसभा चुनाव के परिणाम का अनुमान हंग पार्लियामेंट लगा रहे थे। लेकिन इसका असर शेयर बाजार पर वैसा नहीं देखा गया जैसा कि साल 2004 में देखने को मिला था।
अगर बात सेंसेक्स की करें तो 13 मई 2009 में 12,019.65 अंकों पर बंद हुआ। जबकि उसके बाद सेंसेक्स 11,872.91 अंकों पर आ गया। इसका मतलब है कि सेंसेक्स 1.22 फीसदी यानी 146.74 अंकों की गिरावट के साथ क्लोज हुआ था। जबकि निफ्टी 3,635.25 अंकों से गिरकर 3,593.45 अंकों पर आ गया था। यानी निफ्टी एग्जिट पोल के असर से 1.15 फीसदी यानी 41.8 अंक टूटा था।
साल 2004 और 2009 के विपरीत इस बार एग्जिट पोल्स ने पहली बार फुल मैज्योरिटी के संकेत दिए। साल 2014 में नरेंद्र मोदी पहली बार केंद्र की राजनीति में देखे गए। 12 मई को आखिरी फेज के मतदान हुए थे। उसके बाद जो एग्जिट पोल के आंकड़ें आए उससे किसी को कोई हैरानी नहीं हुई। कोई ऐसा एग्जिट पोल नहीं था जो एनडीए को फुल मैज्योरिटी देता हुआ ना दिखाई दिया हो। सभी ने एनडीए को 272 से लेकर 340 तक सीटें दीं। वहीं यूपीए का एग्जिट पोल में आंकड़ा 150 सीटें भी देता हुआ दिखाई नहीं दिया। कुछेक ने तो यूपीए को 100 से नीचे भी उतार दिया।
एग्जिट पोल के आंकड़ें एक्सपेक्टिड थे। इसलिए इन आंकड़ों को शेयर बाजार पहले ही डाइजस्ट कर चुका था। ऐसे में एग्जिट पोल के बाद शेयर बाजार में कुछ ज्यादा हरकत देखने को नहीं मिली। 12 मई को सेंसेक्स 23,551 अंकों पर बंद हुआ। उसके बाद 13 मई को सेंसेक्स में 1.36 फीसदी यानी 320.23 अंकों की तेजी देखने को मिली। वहीं निफ्टी 7,014.25 अंकों से 7,108.75 अंकों पर आ गया। यानी निफ्टी 1.35 फीसदी यानी 94।5 अंक बढ़त के साथ दिखाई दिया।
साल 2019 लोकसभा चुनाव कई मामलों में दिलचस्प रहा। उससे पहले देश में डिमॉनेटाइजेशन हुआ था। जीएसटी को लागू किया गया था। जिसे विपक्ष ने काफी बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की। चुनाव से पहले देश में बालाकोट हमला हुआ। उस वक्त केंद्र ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की। उसके बाद देश में एक लहर चली जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। चुनाव का आखिरी फेज 17 मई 2019 को हुआ था। उसके बाद एग्जिट पोल सामने आए वो अपने आपमें काफी अप्रत्याशित थे। एग्जिट पोल में भाजपा को 300 से ज्यादा और एनडीए को 350 से ज्यादा मिलती हुई दिखाई गई। वहीं यूपीए 2014 के एग्जिट पोल के आंकड़ों से भी नीचे लुड़कता हुआ दिखाई दिया।
इसका असर भी शेयर बाजार में काफी बड़ा दिखाई दिया। एग्जिट पोल आने के दो दिन के बाद जब शेयर बाजार ओपन हुआ था तो पौने चार फीसदी की तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स 17 मई को 37,930.77 पर था। 20 मई को जब बाजार खुला तो सेंसेक्स 3.75 फीसदी यानी 1,421.9 अंकों की तेजी देखने को मिली और 39,352।67 पर पहुंच गया। वहीं निफ्टी 20 मई को 3.69 फीसदी यानी 421.1 अंकों की तेजी के साथ 11,828.25 अंकों पर बंद हुआ।
अब सभी की नजरें 3 जून को शेयर बाजार पर रहेंगी। एग्जिट पोल आने के बाद पहली बार शेयर बाजार उसी दिन ओपन होगा। अगर ऊपर दिए चार चुनाव के एग्जिट पोल और उसके बाद शेयर बाजार पर पड़े असर को मानें तो 3 जून को शेयर बाजार तेजी और नुकसान दोनों तरफ जा सकता है। अगर एग्जिट पोल में आंकड़ें हंग पार्लियामेंट के दिखाई देते हैं तो शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है। वहीं अगर किसी एक गठबंधन यानी एनडीए या इंडिया में किसी एक को फुल मैज्योरिटी मिलती है तो शेयर बाजार पॉजिटिव रिएक्ट कर सकता है। वहीं शेयर बाजार की नजरें पोल्स में भाजपा के परफॉर्मेंस पर भी टिकी होंगी। अगर भाजपा को पोल्स में बहुमत के आंकड़ें को ही नहीं करती बल्कि अपने पिछले आंकड़ों को भी पार करती हुई दिखाई देती है तो शेयर बाजार में तेजी बन सकती है। अगर भाजपा पोल्स में बहुमत के आंकड़ें से नीचे रहती है तो शेयर बाजार डगमगा सकता है।
शेयर बाज़ार के एक जानकार बताते है कि ये पता नहीं होगा कि सरकार किसकी बनेगी, लेकिन संभव है कि भाजपा और एनडीए के गठबंधन वाली सरकार बनेगी। लेकिन ये एडजस्टमेंट वाली सरकार बनेगी, जोकि बाजार को पसंद नहीं। इससे बाजार में बड़ी गिरावट आ सकती है। बाजार में 10 पर्सेंट तक की गिरावट आ सकती है।
अशोक भाटिया,
वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, एवं टिप्पणीकार
स्वतंत्र पत्रकार – अशोक भाटिया , वसई पूर्व (मुंबई – महाराष्ट )