जयपुर – मरीज नवजोत कौर ने एक अन्य अस्पताल में दो-तीन साल पहले नी रिप्लेसमेंट करवाया था, परंतु कुछ समय बाद उनके घुटने में इन्फेक्शन फैलने लगा। इसके बाद उनके किसी पारिवारिक मित्र की सलाह पर वो नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के ऑर्थोपेडिक, जॉइंट रिप्लेसमेंट एवं स्पोर्ट्स आर्थोस्कोपी सर्जन डॉ. हेमेंद्र अग्रवाल से मिली, यहां जांच के बाद पता चला की जॉइंट में इन्फेक्शन फैल गया है और जो इंप्लांट लगा था वह लूज हो गया है, जिसके कारण इन्हें खड़े होकर चलने में दिक्कत हो रही थी। आमतौर पर नी रिप्लेसमेंट के बाद इंफेक्शन होने पर 1 या 2 स्टेज में रिवीजन नी सर्जरी की जाती है, 2 स्टेज रिवीजन नी सर्जरी करना एक गोल्ड स्टैंडर्ड है जिसमें पहले इंफेक्शन को खत्म किया जाता है और फिर मुख्य जोड़ लगाया जाता है।
नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के डॉ. हेमेंद्र अग्रवाल ने बताया कि, हमने सारी जांच करने के बाद मरीज की स्थिति को देखते हुए 2 स्टेज रिवीजन नी सर्जरी फाइनल की। पहली स्टेज के दौरान पुराने इंप्लांट को हटाकर सीमेंटेड एंटीबायोटिक स्पेशल मोल्ड को इंप्लांट किया, स्पेशल मोल्ड्स से इन्फेक्शन ख़त्म होने में एवं घुटने को मोड़ने में के साथ पैर रखने में आसानी होती हैं, 3 से 4 महीने की स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट एवं रीहैब प्रोटोकॉल्स और निरंतर जांच के बाद इंफेक्शन को नी से पूरी तरह खत्म किया गया और फिर जांच के बाद दूसरी स्टेज की रिवीजन नी सर्जरी को किया गया जिसमें पुराने मोल्ड्स को हटाया गया। सर्जरी में लगभग 2-3 घंटे लगे और इंट्रा ओपी फ्रोजेन सेक्शन से इन्फेक्शन रहित होने की पुष्टि की गयी और मुख्य रिवीजन नी सिस्टम को सफलतापूर्वक इंप्लांट किया गया। इसके बाद मरीज 4 से 6 हफ्तों की रिकवरी और रिहैबिलिटेशन के बाद अपने सामान्य जीवन में आ गया। लगभग 3 महीने के बाद आज उनके घुटने का रेंज ऑफ मोशन 0 से 120 डिग्री है और वह अपना सामान्य जीवन जी रही हैं।
नारायणा हॉस्पिटल जयपुर के क्लीनिकल डायरेक्टर, डॉ. प्रदीप कुमार गोयल, ने बताया कि रिविजन नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में बहुत ही सावधानी की जरूरत होती है और हमारे पास उच्चतम तकनीकी सुविधा उपलब्ध है, जहां मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर एवं अनुभवी आर्थोपेडिक सर्जन की टीम मरीजों का उपचार बहुत ही सावधानी पूर्वक करती हैं। उन्होंने बताया कि नी रिवीजन सर्जरी के बाद अब महिला पूरी तरह से स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रही है।