उदयपुर। नारायण मेघवाल झामेश्वर महादेव का नाम सुनते ही प्रकृति की गोद में गुफा में स्थित मन्दिर की छवि स्वतः उभर आती है। स्वयंभू झामेश्वर महादेव मेवाड़ के अमरनाथ के नाम से भी जाना जाता है।जो कुराबड़ ब्लॉक के एशिया की सबसे बड़ी रॉक फॉस्फेट की खदान झामर कोटड़ा में स्थित है।
आज से शिवरात्रि का तीन दिवसीय मेला आज से आरंभ हो रहा है।भव्य भजन संध्या के साथ मेले का आगाज होगा।
भूवैज्ञानिकों के अनुसार यहां मौजूद शिवलिंग, गुफा व आसपास की चट्टानों में अतिप्राचीन पृथ्वी पर जीवन के रहस्य छुपे हुए है।यहां 180 करोड़ साल पुरानी जीवाश्म चट्टाने मिली है। यही कारण है कि इन चट्टानों में अतिप्राचीन जीवन के संकेत मिले है।इन्ही चट्टानों चट्टानों में रॉक फास्फेट के प्रचूर भंडार है,जिसकी वजह से यहां झामर कोटडा खदान में विश्व का एक मात्र उच्च किस्म का रॉक फॉस्फेट उत्पादन होता है।
जबकि स्थानीय लोग कहते है कि यहां झामा नाम का चरवाहा था जो गायों को चराने के दौरान गुफा में महादेव की भक्ति भाव व पूजा अर्चना करता था। महादेव के प्रसन्न होने पर उसे कहा कि अब भविष्य में मेरे आगे आपका नाम होगा। झामा के देहावसान के बाद उन्ही के नाम पर झामेश्वर महादेव नाम पड़ा।
हर हर महादेव के जयकारों से गुंजा झामेश्वर महादेव का शिवालय ,भजनों की स्वर सरिता में खूब झूमे भक्त
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